आपके मन में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर Dollar Itna Powerful Kyon Hai इसके पीछे आखिर क्या वजह है जिसकी वजह से डॉलर इतना पावरफुल है आखिर अमेरिका ने ऐसा क्या किया कि डॉलर इतना शक्तिशाली हो गया क्यों आखिर दूसरे देश डॉलर में ही व्यापार करते हैं दूसरी करेंसी में क्यों नहीं जितने भी देश है वह अपनी करेंसी की वैल्यू डॉलर में ही क्यों कंपेयर करते हैं यह देश क्यों नहीं अपनी खुद की करेंसी में व्यापार कर सकते हैं आखिर क्यों इन देशों के पास डॉलर का कोई तोड़ नहीं है इन सभी सवालों के जवाब हम आपको हमारे ब्लॉग Dollar Itna Powerful Kyon Hai इसमें देंगे आपको डॉलर का पूरा इतिहास बताएंगे जिससे कि आपको पता चल जाए कि डॉलर इतना पावरफुल क्यों हो गया इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमारी ब्लॉक को आखिर तक पढ़ते रहे जिससे आपको मालूम हो जाएगा के डॉलर इतना पावरफुल क्यों है
Dollar Itna Powerful Kyon Hai
यहां हम ऐसी घटनाओं के बारे में बताएंगे जिनकी वजह से अमेरिका को सीधा सीधा फायदा पहुंचा और अमेरिका इन घटनाक्रमों की वजह से अपने डॉलर को एक शक्तिशाली करेंसी के रूप में उभरा और जितने भी देश है उन सभी को अमेरिका ने डॉलर को इंटरनेशनल करेंसी के रूप में अपनाने के लिए साम दाम दंड भेद से उन्हें किसी न किसी तरीके से डॉलर को अपनाने के लिए बाध्य किया आज हम जानेंगे कि डॉलर इतना पावरफुल क्यों है हमारे इस ब्लॉग में जानेंगे कि किन किन कारणों की वजह से डॉलर इतना महंगा और मजबूत हो गया
1914 वर्ल्ड वार में अमेरिका का आर्थिक रूप से मजबूत होना
1914 के वर्ल्ड वॉर में जब यूरोप पूरी तरीके से युद्ध में व्यस्त था तब अमेरिका दूसरी ओर एक आर्थिक शक्तिशाली देश बनकर उभरा क्योंकि वर्ल्ड वार की वजह से यूरोप के लगभग सभी देश युद्ध की वजह से आर्थिक दृष्टि से काफी कमजोर हो गए थे और उन्हें युद्ध के दौरान युद्ध लड़ने के लिए हथियारों की कमी महसूस हो रही थी इसीलिए यूरोपीय देशों ने मिलकर हथियारों की कमी से बचने के लिए उन्होंने अमेरिका की तरफ रुख किया जोकि आर्थिक दौड़ से मजबूत था साथ ही वह किसी युद्ध में शामिल भी नहीं था अमेरिका ने यूरोपीय देशों को कहा के आपको जितने भी हथियार चाहिए हम आपको हथियार देंगे इसके बदले में यह शर्त रखी कि आपको जितना भी पेमेंट करना होगा वह आपको डॉलर में ही करना होगा या तो आप जितना सामग्री का डॉलर बनता है या डॉलर दे या फिर डॉलर की वैल्यू का सोना दे जिसकी वजह से अमेरिका के पास पूरे विश्व का 60 से 70% सोना अमेरिका के कब्जे में आ गया जिसकी वजह से अमेरिका आर्थिक दृष्टि से और ज्यादा मजबूत हो गया था यूरोपीय देशों का जितना भी सुना था वह किसी ना किसी तरीके से अमेरिका पहुंच गया और इसके बाद 1917 में अमेरिका ने युद्ध के आखिर में भाग लिया जो कि जल्दी ही खत्म हो गया और अमेरिका और उसके यूरोपीय साथी देश इस युद्ध में विजय प्राप्त हुए जिसका सीधा फायदा और यूरोपीय देशों का विश्वास अमेरिका पर मजबूत हुआ पहले कारण मैं अमेरिका इस तरह अपनी करेंसी को मजबूत किया
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1939 वर्ल्ड वार में अमेरिका को सीधा फायदा पहुंचना
1914 का वर्ल्ड वार खत्म होते ही 1939 तक आते-आते फिर से यूरोपीय देश युद्ध की चपेट में आ गए लेकिन अमेरिका इस बार पहले से ज्यादा तैयारी करके बैठा था क्योंकि अमेरिका को पता था कि यूरोपीय देश ज्यादा से ज्यादा हथियारों की मांग करेंगे इसके लिए अमेरिका ने पहले से ही ज्यादा से ज्यादा हथियार बना रखे थे अमेरिका ने कहा कि आपको जितने भी हथियार चाहिए हथियार लो बस हमें हथियार के बदले गोल्ड दो या फिर डॉलर दो इसकी वजह से अमेरिका को डॉलर को पावरफुल बनाने में और ज्यादा सहायता मिली फिर 7 दिसंबर 1941 तक आते-आते अमेरिका यूरोपीय देशों के साथ आखिर में युद्ध में शामिल हुआ और 1942 तक युद्ध युद्ध समाप्त हो जाता है और अमेरिका और उसके साथी देश युद्ध जीत जाते हैं
युद्ध जीत जाने के बाद यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था तो चौपट हो चुकी थी अब धीरे-धीरे सभी देशों ने मिलकर आपस में व्यापार बढ़ाना शुरू किया और व्यापार पर ध्यान देना शुरू किया जिसके लिए एक मजबूत करेंसी की जरूरत थी सभी देशों ने मिलकर एक राय बनाए कि हम एक ऐसी करेंसी को चुनते हैं जो आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो और शक्तिशाली हो उन सभी ने अमेरिका की तरफ रुख किया क्योंकि अमेरिका उस वक्त इकोनॉमिक हां बन गया था और बहुत ही ज्यादा मजबूत था क्योंकि उसे युद्ध में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था बल्कि उसे ज्यादा फायदा ही हुआ था जिसकी वजह से अमेरिकन डॉलर मजबूत हो गया
1 जुलाई 1944 में ब्रेटन वुड्स में जोकि नई न्यू हेमस शहर अमेरिका में यूरोपीय देशों की 44 लोगों की टीम अमेरिका में पहुंची जो इस मकसद से पहुंची थी जिसमें यह फैसला किया गया कि यूरोपीय देश जितने भी है वह आज से डॉलर में लेनदेन करेंगे और डॉलर को ही रिजर्व करेंसी माना जाएगा अमेरिका ने कहा कि डॉलर में लेनदेन करें लेकिन डॉलर की वैल्यू गोल्ड में तय होगी उस वक्त डॉलर की वैल्यू एक औंस गोल्ड बराबर $35 रखी गई इसके बाद फ्रांस ब्रिटेन जैसे बड़े-बड़े देश अपना जितना भी गोल्ड है वह अमेरिका के पास लेकर पहुंच गए और गोल्ड के बदले अमेरिका से डॉलर लेकर व्यापार करने लग गए लेकिन इसमें भी एक गड़बड़ हो गई के अमेरिका गोल्ड के हिसाब से डॉलर नहीं चाहता बल्कि वह जितना चाहे डॉलर छाप लेता है और दूसरे देशों को गोल्ड के बदले दे देता है इसी बात को चेक करने के लिए यूरोपीय देश अमेरिका पहुंच गए और यह मांग करने लगे कि डॉलर छापने वाली मशीन और गोल्ड का हमें ऑडिट करवाओ क्या मैं पता चले कि आप गोल्ड के बदले कितना पैसा छाप रहे हैं
लेकिन अमेरिका ने अपना गोल्ड और प्रिंटिंग मशीन दिखाने से साफ मना कर दिया और कहा के हम किसी को नहीं बताएंगे कि हमारे पास कितना गोल्ड पड़ा है और कितना डॉलर हम छाप रहे हैं मजबूरन यूरोपीय देशों को वापस लौटना पड़ा और वह कर भी क्या सकते थे क्योंकि जब तक अमेरिका आर्थिक दृष्टि से बहुत पावरफुल बन गया था और अगर अमेरिका डॉलर को ही डीवैल्यू कर देता तो जितने भी डॉलर यूरोपीय देशों के पास पड़े हुए सभी बेकार हो जाते हैं और वह आर्थिक दृष्टि और ज्यादा कमजोर हो जाते हैं धीरे-धीरे यूरोपीय देश ताकतवर होते गए और अमेरिका के ऊपर ज्यादा दबाव बढ़ने लगा उसके बाद अमेरिका ने एक फैसला किया 15 अगस्त 1971 को अमेरिका के रिचर्ड निक्सन ने यह बयान दिया कि अब से हम गोल्ड के अनुसार नहीं चलेंगे बल्कि आप को जितना डॉलर चाहिए हम उतना डॉलर दे देंगे सभी देशों को इस बात का बुरा तो लगा लेकिन वह कर भी क्या सकते थे अमेरिका आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा शक्तिशाली था इसीलिए सभी देशों ने डॉलर की प्रभुता को स्वीकार कर लिया
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पेट्रो डॉलर की मदद से अमेरिकन डॉलर का मजबूत हो जाना
जब सारे युद्ध खत्म हो गए तो अमेरिका ने डॉलर को मजबूत बनाने के लिए नए-नए तरकीब ए खोजने स्टार्ट कर दी तब खाड़ी देशों के अंदर पेट्रोल डीजल की खोज होने लग गई थी और पेट्रोल डीजल खाड़ी देशों में भरपूर मात्रा में मिल रहा था और उसका निकाला भी जा रहा था क्योंकि उस वक्त औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हो गई थी प्रत्येक देश को पेट्रोल डीजल की आवश्यकता होने लग गई थी वह भर भर के खाड़ी देशों से पेट्रोल-डीजल ले रहे थे
तब अमेरिका ने दिमाग लगाया और वह खाड़ी देशों में पहुंच गए अपने डेलिगेशन के साथ और खाड़ी देशों को बोला के आप के जितने भी पेट्रोल डीजल की रिफाइनरी है हम उनकी सुरक्षा करेंगे आपको जितना पेट्रोल डीजल बेचना है बेचे हमें कोई परेशानी नहीं है आप बस पेट्रोल डीजल का पेमेंट डॉलर में ही ले अगर आपने हमारी बात नहीं मानी तो आपको पता ही है कि हम अमेरिका है और हां उस वक्त अमेरिका ही का दबदबा था सभी लोग अमेरिका के आगे नतमस्तक थे जो कि अमेरिका आर्थिक और सामरिक और सैनिक दृष्टि से काफी ज्यादा मजबूत था कोई भी देश उसके मुकाबले में नहीं था इसकी वजह से जितनी भी गल्फ कंट्रीज है उन्होंने अमेरिका की शर्त को मान लिया और पेट्रोल डीजल का पेमेंट डॉलर में लेने लग गए जिसकी वजह से डॉलर की मांग बढ़ने लगी और जितने भी विश्व के देश है वह अमेरिका के पास भाग भागकर जाने लगे और अपनी करेंसी के बदले में डॉलर को खरीदने लग गए जिसकी वजह से अमेरिकन डॉलर की वैल्यू बढ़ने लगी और अमेरिका और ज्यादा मजबूत होने लग गया
लेकिन जिन कंट्रीज ने अमेरिका की बात नहीं मानी जैसे कि इराक और लीबिया अमेरिका ने उन देशों पर हमला कर दिया और उन देशों को तबाह कर दिया और उनके ऑयल रिफाईनरीज पर कब्जा कर लिया इस वजह से गल्फ के जितने भी देश है अब अमेरिका के सामने मुंह खोलने से डरते हैं और अमेरिका जो कहता वह सभी देश करते हैं इसलिए अमेरिकन डॉलर अधिक मजबूत हो गया
आज आपने क्या सीखा
हमने आपको आज हमारी ब्लॉग Dollar Itna Powerful Kyon Hai मैं बताया कि डॉलर इतना पावरफुल कैसे हो गया हमने आपको ब्लॉक में वह सारी अमेरिका की तरकीबए बताएं जिनकी मदद से अमेरिका डॉलर को इंटरनेशनल करेंसी बना पाया और जिसकी मदद से अमेरिका इतना पावरफुल हो गया हमने आपको बताया किन-किन तरीकों को काम में लेकर अमेरिका डॉलर को इतना पावरफुल बना लिया और पूरे विश्व में अमेरिका एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में बनकर उभरा अगर आपको हमारा ब्लॉक पसंद आया है तो आप हमारे ब्लॉग को अपने परिवार रिश्तेदार साथियों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और हमारे गूगल न्यूज़ चैनल को फॉलो करें जिसकी मदद से हमारे लेटेस्ट ब्लॉग कि अपडेट्स आपको समय पर मिलती रहेगी धन्यवाद
FAQs
डॉलर इतना मजबूत क्यों है?
डॉलर का इतना मजबूत होने की वजह यह है कि डॉलर एक इंटरनेशनल करेंसी है और इसके साथ ही डॉलर एक पेट्रो डॉलर करेंसी है जिसके अंतर्गत जितना भी पेट्रोल-डीजल है वह डॉलर में लेनदेन होता है जिसकी वजह से प्रत्येक देश को पेट्रोल डीजल खरीदने के लिए अपने देश में डॉलर रखना पड़ता है जिसकी वजह से डॉलर की रेट इतनी ज्यादा हाई है और इसी वजह से डॉलर इतना मजबूत है
डॉलर दुनिया पर राज क्यों करता है?
डॉलर दुनिया पर इसलिए राज करता है क्योंकि उसके पास पूरी दुनिया का 60 से 70% सोना है और इसीलिए डॉलर की वैल्यू इतनी ज्यादा हाई है क्योंकि इतना ज्यादा सोना किसी भी देश के पास नहीं है और आपको पता ही है कि सोना कितनी कीमती धातु है जिसकी मांग दुनिया में बढ़ती जा रही है जिसकी मांग ज्यादा दुनिया में होती है उसकी वैल्यू भी ज्यादा होती है इसीलिए डॉलर दुनिया पर राज करता है कोई भी देश सोने के मुकाबले में अमेरिका को पीछे नहीं छोड़ सकता
भारतीय रुपया इतना कमजोर क्यों है?
भारत का रुपया इतना कमजोर होने की वजह यह है कि भारत का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है और शेयर मार्केट भी स्थिर नहीं है इसके साथ ही निवेशकों का भारत पर विश्वास कम होना जिसकी वजह से भारतीय रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है और इसके साथ ही अमेरिकन डॉलर भी बहुत ज्यादा मजबूत होता जा रहा है
विश्व में सबसे बड़ा डॉलर किसका है?
कुवैती दिनार दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी है क्योंकि कुवैती दिनार की एक दिनार की वैल्यू डॉलर के मुकाबले 3.28 डॉलर है
पूरी दुनिया में कौन सी मुद्रा स्वीकार की जाती है?
पूरी दुनिया में अमेरिकन डॉलर को स्वीकार किया जाता है और जितना भी व्यापार का लेन देन है वह अमेरिकन डॉलर में ही होता है किसी भी देश को अगर किसी दूसरे देश से व्यापार करना है तो उसके पास डॉलर होना आवश्यक है जिसकी मदद से वह व्यापार कर सकता है