हमारे देश में कई बड़े-बड़े बैंक है जिनमें गवर्नमेंट बैंक भी है और प्राइवेट बैंक भी है और बैंकों का काम यही होता है कि बैंक अपने ग्राहकों के पैसों की सुरक्षा करते हैं तथा ग्राहकों को लोन देने का काम भी करते हैं और भी बैंकिंग क्षेत्र में होने वाले कार्य बैंक करते हैं
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बैंक जिन कंपनियों और लोगों को पैसा लोन पर देती है वह लोग बैंक को लोन नहीं चुका पाते और बैंक का पैसा कर्ज में फंस जाता है जिसे NPA कहा जाता है और हम NPA की फुल फॉर्म की बात करें तो इसे नॉन परफॉर्मिंग एसेट कहा जाता है यानी कि ऐसा पैसा जो बैंक द्वारा लोन दिया जाता है लेकिन किसी कारणवश कर्जदाता लोन को नहीं चुका पाता है तो वह पैसा बैंक का फंस जाता है जिसे NPA कहा जाता है और NPA होना बैंकों के लिए काफी नुकसानदायक है क्योंकि बैंक का पैसा लोन में फंस जाता है
और कई बैंकों का NPA ज्यादा होता है कई बैंकों का NPA कम होता है तो इसे ग्रॉस NPA कहा जाता है जिसका मतलब है ग्रास नॉन परफॉर्मिंग एसेट अब आपको समझ में आ गया होगा कि NPA क्या होता है आगे हम ब्लॉक में विस्तार से नपा के बारे में कई औरबातों के बारे में जानेंगे जिससे NPAकी पूरी जानकारी आपको हो जाएगी
क्या होता है नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए)? What is Non-Performing Asset (NPA)?
आज के समय में हर कोई अपने ज्यादा खर्चों को पूरा करने के लिए या फिर बिजनेस करने के लिए या अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए या अपना घर बनवाने के लिए आए या फिर नई गाड़ी खरीदने के लिए लोन लेते हैंऔर बैंक भी अगर व्यक्ति लोन लेने का पात्र होता है तो उसे लोन दे देता है
लेकिन कई बार यह होता है कि उधारकर्ता लोन चुकाने में असमर्थ हो जाता है और बैंक भी पूरी कोशिश करता है कि उधारकर्ता से जैसे तैसे लोन की राशि को निकलवा ले और काफी टाइम हो जाता है तो वह लोन का पैसा बैंक का डूब जाता है बैंक को इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है जैसा कि आप सबको पता है कि लोन की रकम को हम आसान किस्तों में वापस बैंक को चुकाते हैं अगर 3 महीने तक लोन की किस्त को हम नहीं चूका पाते हैं तो बैंक रिजर्व बैंक आफ इंडिया के अनुसार उस लोन की राशि को नॉन परफॉर्मिंग एसेट अर्थात एनपीए घोषित कर देता है इसे ही बैंकिंग की भाषा में एनपीए कहा जाता है
एनपीए बढ़ने पर बैंक पर क्या असर पड़ता है? What is the impact on the bank if NPA increases?
कोई भी बैंक यह नहीं चाहता कि उसका एनपीए बड़े अर्थात के उसके द्वारा दिए गए लोन की राशि कहीं फस जाए उधारकर्ता उस लोन की राशि को नहीं चुकाए कोई भी बैंक ऐसा कभी नहीं चाहेगा क्योंकि जितना ज्यादा एनपीए बैंक का बढ़ेगा उसकी आर्थिक स्थिति खराब होती जाएगी और एक दिन ऐसा आएगा कि बैंक बंद भी हो सकता है इसीलिए किसी भी बैंक के लिए एनपीए बढ़ाना एक खतरे की घंटी है बैंक यही चाहता है कि जैसे तैसे करके एनपीए को बढ़ाने से रोकना और जो भी लोन की राशि फंसी हुई है उसे कानूनी तरीके से वापस कैसे हासिल करना है यह सभी बैंक करते हैं
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एनपीए होने के कारण? Due to being NPA?
- एनपीओ होने का मुख्य कारण यही है कि कर्जदार द्वारा समय पर अपनी किस्तों कोनहीं चूकना जिसकी वजह से बैंक को एनपीए घोषित करना पड़ता है
- या फिर कई बार यह भी हो सकता है कि कोईआर्थिक मंदी आ जाए कोई नुकसान हो जाए या कर्जदार की माली हालत खराब हो जाए जिसकी वजह से भी कर्जदार लोन चुकाने में असमर्थ हो सकता है
- कई बार यह भी होता है कि बैंक यह तय नहीं कर पाता की लोन लेने वाला व्यक्ति सही है या गलत बैंक आसानी से लोन दे देता है लेकिन कर्जदार उस लोन को नहीं चुकाता जिसकी वजह से बैंक का पैसा डूब जाता है और उसे राशि को एनपीए घोषित करना पड़ता है
एनपीए बढ़ने पर कर्जदारों पर क्या असर पड़ता है? What is the impact on borrowers when NPA increases?
- अगर कोई कर्जदार 3 महीने तक लोन नहीं चुका पाता है तो बैंक उस लोन की राशि को एनपीए घोषित कर देता है
- किसी भी लोन की राशि को एनपीए घोषित करने के बाद सीधा असर कर्जदार के सिबिल स्कोर पर पड़ता है
- भविष्य में जब भी कर्जदार लोन लेगा तो उसे लोन लेने में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा
- जितने भी बड़े बैंक हैं या छोटे बैंक है उसे लोन देने से परहेज करेंगे उसे लोन देने से बचेंगे
- अगर कर्जदार को किसी भी तरह से लोन मिल भी जाएगा तो उसे बहुत ही ज्यादा अत्यधिक ब्याज दरों पर लोन मिलेगा क्योंकि उसकी लोन चुकाने की जो हिस्ट्री है वह पहले से खराब है इसीलिए कोई भी बैंक उसेकम ब्याज दरों पर लोन देना नहीं चाहेगा
- एनपीए बढ़ने की वजह से कर्जदार की लोन लेने की हिस्ट्री खराब हो जाएगी
लोन रिकवरी के लिए बैंक क्या करते हैं? What do banks do for loan recovery?
- लोन रिकवरी के लिए सबसे पहले बैंक लोन की रकम को एनपीए घोषित कर देते हैं
- बार कर्जदार को बार-बार बैंक की तरफ से नोटिस भेजे जाते हैं लोन चुकाने के लिए
- बैंक की तरफ से कर्जदार को बार-बारकॉल आते हैं लोन चुकाने के लिए
- कर्जदार के घर पर बैंक रिकवरी अधिकारी भी आता है
- बैंक के द्वारा कर्जदार को एक निश्चित समय दिया जाता है लोन चुकाने के लिए
- एनपीए घोषित करने से पहले बैंक लोन की रकम को तीन कैटेगरी में डिवाइड करता है जैसे की सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स इन तीन कैटेगरी मेंलोन की रकम को बैंक डिवाइड करती है
- 1 साल तक जब लोन की राशि कर्जदार द्वारा नहीं चुकाई जाती है तोबैंक उसे लोन खाता को स्टैंडर्ड असेट्स मान लेती है जिसे डाउटफुल असेट्स माना जाता है
- 1 साल होने के बाद भी अगर कोई लोन चुकाने में असमर्थ है तो लोन इस अमाउंट को लॉस असेट्स मान लेती है और कर्जदार को लॉस असेट्स रिकवरी के लिए नोटिस भेजा जाता है
- कर्जदार को बार-बार लोन चुकाने के लिए रिमाइंडर नोटिस भेजे जाते हैं
- आखिर में लोन रिकवर नहीं होता है तो बैंक कर्जदार की प्रॉपर्टी को जपत करके उसको नीलाम करके कर्जदार के जो भी असेट्स हैं जिनसे लोन की राशि को रिकवर किया जा सकता है बैंक उसको नीलाम करता है और उस लोन की राशि को वसूल करते हैं यह सभी नियमकानून के दायरे में रहकर बैंक करता है
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एनपीए को कम करने के उपाय? Ways to reduce NPA?
- जब भी बैंक लोन दे तो यह निश्चित करें कि लोन देने वाला व्यक्ति लोन के लिए पात्र है या नहीं है लोन सही समय पर चुका पाएगा या नहीं यह बैंक को निश्चित करना होगा
- लोन देने की प्रक्रिया में बैंकों को बहुत ज्यादा सुधार करना होगा
- बैंकों को अपनी लोन देने की प्रक्रिया के सिस्टम को सुधारना होगा
- रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को लोन देने की प्रक्रिया को और ज्यादा अच्छा और यूनिक बनाना होगाअच्छे नियम व कानून लाने होंगे और सभी बैंकों को सभी नियमों को पालन भी करवाना होगा
निष्कर्ष (Conclusion)
आज हमने इस ब्लॉग में आपको एनपीए क्या है इस बारे में बताया आपको एनपीए से जुड़ी सभी जानकारियां विस्तार से आपको एक ही ब्लॉग में हमने आपको बताया है हमने आपको एनपीए से जुड़ी सभी विषयों जैसे एनपीए क्या होता है एनपीए होने पर क्या होता है एनपीए को कम करने के उपाय क्या होते हैं लोन रिकवरी के लिए बैंक क्या करते हैं एनपीए की वजह से बैंक पर क्या असर पड़ता है यह सभी तमाम टॉपिक हमने इस ब्लॉग में आपको क्लियर करवाया है अगर हमारी द्वारा दी गई जाएगी जानकारी से आप संतुष्ट हैं तो हमारे ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा अपने परिवार रिस्तेदार और साथियों में शेयर करें हमारे सोशल मीडिया अकाउंट्स को फॉलो करें धन्यवाद
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (Frequently Asked Questions)
अगर कोई खाता एनपीए हो जाता है तो क्या होगा?
अगर कोई खाता एनपीए हो जाता है तो बैंक उस लोन रिकवरी के लिए नोटिस भेजेगा अगर फिर भी कर्जदार लोन नहीं चुकाता है तो उसकी संपत्ति को नीलम करके लोन वसूला जाएगा
एनपीए कितना होना चाहिए?
एनपीए 6% से कम होना चाहिए
NPA कितने प्रकार के होते हैं?
एनपीए तीन प्रकार के होते हैं
NPA वसूली क्या है?
एनपीए वसूली का अर्थ कर्जदार द्वारा लोन नहीं चुकाने पर बैंक द्वारा उठाए गए कदम होते हैं जिनसे एनपीए की वसूली की जाती है
लोन नहीं चुकाने पर क्या होता है?
अगर कोई कर्जदार लोन नहीं चुकाता है तो बैंक की तरफ से रिमाइंडर नोटिस भेजा जाएगा और लोन नहीं चुकाने पर प्लेंटी भी लगाई जाएगी बैंक की तरफ से फोन कॉल भी आएगा अगर फिर भी आप लोन नहीं चुकाते हैं तो रिकवरी अधिकारी बैंक का लोन लेने आएगा